हस्तरेखा विज्ञानं से जाने आप भाग्यशाली है या नहीं ?
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लेखिका : रजनीशा शर्मा
भारत में ज्ञान और विज्ञानं के असीम भंडार है , हस्तरेखा विज्ञानं भारत में 5000 साल से भी ज्यादा
समय से प्रचलित है ,*यदि किसी व्यक्ति के हाथ में भाग्य रेखा है सिर्फ इसी कारण से वह भाग्यशाली
नहीं हो जाता ,व्यक्ति की भाग्य रेखा उन्नत दशा में यदि ना हो तो व्यक्ति को अनुकूल परिणाम प्राप्त
नहीं हो पाते | भाग्य रेखा छोटी भी हो तो व्यक्ति जीवन में भाग्यवान अवश्य होता है ,किन्तु उन्नत
रेखा और भी अनुकूल परिणाम देती है आइये जानते है हस्तरेखा विज्ञानं के माध्यम से हम कैसे जान
सकते है की हम भाग्यशाली है या नहीं -
*यदि किसी व्यक्ति की भाग्य रेखा जीवन रेखा से के प्रारम्भ होने के स्थान से प्रारम्भ हो तो
व्यक्ति को अपनी मेहनत के अनुकूल परिणाम प्राप्त होते है |
*यदि भाग्य रेखा शनि पर्वत पर चढ़ रही हो तो व्यक्ति जीवन में हर क्षेत्र में सफलता प्राप्त करता है
|
*चंद्र पर्वत से प्रारम्भ होने वाली भाग्य रेखा दुसरो की सहायता से सफलता प्राप्ति की सूचक होती है
|
*यदि दो भाग्य रेखाएं एक साथ चल रही हो तो व्यक्ति अपने जीवन साथी की सहायता से जीवन में
सफलता प्राप्त करता है | हथेली में दो भाग्य रेखाएं शुभ मानी जाती है |
*सूर्य की ऊँगली पर यदि भाग्य रेखा चढ़ रही हो तो व्यक्ति जीवन में अपनी ही गलतियों के परिणाम
भोगता है |
*जीवन रेखा को काटती हुई भाग्य रेखा अशुभ मानी जाती है |
*टूटी एवं कटी फ़टी भाग्य रेखा भी भाग्यहीन मानी जाती है |
*भाग्य रेखा यदि ह्रदय रेखा को कटे और वही समाप्त हो जाए तो प्रेम संबंधो के कारण कष्ट एवं
असफलता प्राप्त होती है |
* भाग्य रेखा मणिबंध से जितनी दूर से शुरू होती है व्यक्ति का भाग्योदय उतनी ही देर से होता है
*सबसे अच्छी भाग्य रेखा मणिबंध से शुरू होकर शनि की ऊँगली को पार करती हुई होती है |ऐसी
भाग्य रेखा व्यक्ति की सम्पन्नता को दर्शाती है |
